एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
नाम लेते ही हुआ परगट, परमेश्वर निरंकार।
देखने वाले देख रहे, हैं तेरा उजियार।।
जो दुनियां में खप रहे, फिरेंगें होके ख्वार।
अन्त काल शरमायेंगें, साहिब के दरबार।।
खड़े गगन में देवता, खुला धरम का द्वार।
पहुँचने वाले पहुँच गये, भव सागर के पार।।
भव सागर में भटके बेड़ा, उठे लाख भँवर पटार।
जहाँ- जहाँ मेरा गुरू फिरे, तहाँ- तहाँ उजियार।।
गुरू संग कीजै आराधना, गुरू सत की जोत निरंकार।
जहाँ- जहाँ मेरा गुरू फिरे, तहाँ- तहाँ उजियार।।
अलख निरंजन......
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
तू मालिक सारे जग का, सच्चा तेरा नाम।
जिस दिल में तेरा चाँदना, वो जग में सुल्तान।।
पंथ और ग्रन्थ अनेक जगत में, गुरू बिन मुक्ति ना होय।
गुरू सुमर हर पाइये, तेरा फेर ना मरना होय।।
कैसे करूँ तेरी आराधना, साहिब सिरजनहार।
बन्दे को इतना बहुत, पड़ा रहे दरबार।।
देवी बड़ी ना देवता, ना पैगम्बर पीर।
सबसे ऊँचा तख़्त तेरा, एक तू ही अव्वल आखीर।।
गगन गुम्बद से चाँदना, आवे है दिन रात।
आरती करें तेरी देवता, उजियारा लिये हाथ।।
कोई किसी का है नहीं मैंने छान लिया संसार।
तीन लोक तलक तेरा, कोई नहीं रोवनहार।।
सब मतलब के मीत जगत में, नहीं कोई बेगरजी।
जो तेरा फटा कलेजा सीवै, नहीं ऐसा कोई दरजी।।
फटा चीथड़ा सन्त पहनैं, औढं़े तेरी नाम चदरिया।
जिस चदरी के नीचे ठिकाना, पावै सारी दुनियां।।
काले हरफ मत लिखै.... दिल का वरका कर साफ।
दिल दरगाह में अलख निरंजन, वो तो राजों का महाराज।।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
जहाँ ....... आता है, सम्मान के वास्ते दोनों हाथों से होठों को आँखों व मस्तक को चूमें। श्लोक पढ़ने के बाद में प्रार्थना पढ़ें।

प्रार्थना

हे परमेश्वर! तू ज़मींन आसमान और रूहों का स्वामी है,
कौन है जो तेरी बराबरी कर सके, कोई नहीं है, तेरे प्रकाश में देवता और फरिश्ते तेरी आराधना में मस्त हुए झूमते हैं, उस प्रकाश की एक बूंद तू हमें बख्श, हमें अपने करीब कर, हमारा नाम अपनी पवित्र आत्माओं में लिख, हमें अंधेरे से निकाल कर उजाले और रोशनी में ला, जो बीमार हैं, उन पर रहम कर, अपने भले बुरों पर तू रहम कर, तेरा रहम हम पर होवे, तेरा प्रकाश हमारे साथ हो,
हे परमेश्वर! तू हमें अपनी ज्योति में विश्राम दे, जो तेरे रास्ते पर आये हैं, उनके वास्ते अपना रास्ता आसान कर, दुख भोग का प्याला हमारे सामने से हटा दे,
हे परमेश्वर! दुखों के वन में भटकती हुई आत्माओं को शान्ति दे।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा, बाकि बचे ना कोय।
तू रहे तेरा नाम रहे, नहीं और रहेगा कोय।।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा, सब में तेरा नूर समाया।
मेहर कर मैं तेरा बन्दा, तेरी चैखट पे आया।।
मेरा सतगुरू साँचा शाह है, करम की रेख मिटावे।
भव अंधयार से पार करके, ज्योति जोत समावे।।
जीवन और मौत के घाट हैं दो, जहाँ तेरी ज्योत बले।
जहाँ कोई ना संग चले, वहाँ तू ही संग- संग चले।।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
इसके बाद बैठकर माला से मन में गुरू मंत्र ’’एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा’’ का जाप करें, एक माला पूरी होने के बाद बोले- हे परमेंश्वर! तू हमें अपनी ज्योति में विश्राम दे। हर घण्टे की आराधना में शुरू में केवल प्रार्थना व एक माला का सुमरन होता है।

अरदास

करे गरीब तेरी आराधना, जग के तारनहार।
तुझे अर्पण तेरी आत्मा, बख्शो बख्शनहार- 2।।
आद पुरख परमेश्वर, तू ज्योति निरंकार।
सबमें तेरा चाँदना, सबमें तेरा उजियार-2।।
आरती करें तेरी देवता, दोनों हाथ पसार।
सिद्ध मुनि करें स्तुति, उठे अनहद झंकार-2।।
जगमग होवै चाँदना, जोत अनन्त अपार।
ओंकार और निरंकार में, लगा तेरा दरबार-2।।
सत के सिंहासन पे बिराजे, साहिब सिरजनहार।
दिल के हुजरे में मुझे, तेरा घड़ी- घड़ी दीदार-2।।
व्याकुल दुःखी मेरी आत्मा, खिण- खिण करे पुकार।
सतगुरू जहाज चढ़ाय के, भव से करियो पार-2।।
अगम सिन्ध समन्द तुम, हम तेरी लहर पटार।
कहे गरीब......... तेरा, कहे ये संत........ तेरा,
तुम ही लगाओ पार-2।।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
अरदास पढ़ने के बाद मंत्र बोले जाते हैंै। रात्रि के दो बजे व शाम के सूर्यास्त के समय अरदास के बाद आरती करें। आरती जोत जलाकर करें।

आरती निरंकार परमेश्वर की

हे निरंकार प्रभु परमेश्वर! तेरी जगमग होवे आरती।
जल- थल सब में तेरा चाँदना, कैसी जगमग होवे आरती।।
पानी पवन अगन आकासा, चँवर डुलावेें झुकाये माथा।
ब्रह्या विष्णु और महादेवा, सीस झुकाये करैं तेरी सेवा।।
हे निरंकार............।।
सिद्ध मुनि खड़े अस्तुति करते, छत्तर छाँव धरम राज करते।
चाँद सूरज बने दीपक बाती, हाथ जोड़ खड़ी लख चैरासी।।
हे निरंकार............।।
अगम अगोचर हे अविनाशी, जोत निरंजन घट घट वासी।
तेरा अन्त ना कोई पावे, कोई तेरी स्तुति कैसे गावे।।
जो मन मेें तेरी ज्योत जगावे, वो साहिब तेरा दास कहावे।
दास.....कहे है तेरा, संत.....कहे है तेरा, करियो पार प्रभु मेरा बेड़ा।।
हे निरंकार.............।।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा

आरती सच्चे गुरू की

सच्चे गुरू की आरती करिये।
सुमर सुमर भव पार उतरिये।।
पाँच तत्व गुण तीन से पारा।
जहाँ मेरे साहिब का दरबारा।। सच्चे गुरू की........।।
सुमिरन ज्योति सीस पे धरिये।
साँस साँस पे नाम सुमरिये।। सच्चे गुरू की........।।
गुरू की करिये हर दम पूजा।
गुरू समान कोई देव ना दूजा।। सच्चे गुरू की........।।
हरि और गुरू एक कर जाने।
घट- घट भीतर एक पछाने।। सच्चे गुरू की........।।
सतगुरू ब्रह्य रूप धर आये।
अलख अगम घट में दरसाये।। सच्चे गुरू की........।।
मिटा अंधेरा हुआ उजियारा।
सतगुरू मेरा तारन हारा।। सच्चे गुरू की........।।
एक जोत का सकल पसारा।
सतगुरू संत.........2 पुकारा।। सच्चे गुरू की........।।
सतगुरू देव की आरती करिये।
आरती करिये नाम सुमरिये।। सच्चे गुरू की........।।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा,
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा।

ये मंत्र आरती व आराधना के बाद में बोले जाते हैं-

जेत-निरंजन, ओेंकार, निरंकार, सोहंग, सतनाम, अन्तहीन तुझे परणाम।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा।
ॐ गुर्रू ब्रह्या गुर्रू विष्णु, गुर्रू देवो महेश्वरा, गुर्रू साक्षात् परमब्रह्य, तस्मै श्री गुरूवे नमः।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
ॐ अग्नि मीले पुरोहितम, यज्ञस्य देवं ऋतविजं होतारं रत्न धातमम्।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम्, भर्गोदेवस्य धीमहि, धियो यो नः प्रचोदयात्।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
ॐ विश्वानि देव, सवितर्दुतानि परासुव, यद् भद्रम् तन्न आ सुव।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
ॐ त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम्। उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्, त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पतिवेदनम ्। उर्वारूकमिव बंधनादितो मुक्षीय मामुतः।।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
ॐ यदंगदाशुषे, त्वमग्ने भद्रं करिष्यसि, तवे तत् सत्यं अंगिरः।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
ॐ शन्नो मित्रः शन्नो वरूणः शन्नो भवत्र्यमा शन्नो इन्द्रो बृहस्पतिः शन्नो विष्णु रू- रूक्रमः।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः
बोलो निरंकार परमेश्वर की जय,
बोलो स्वामी जी महाराज की जय,
बोलो मुक्तिदाता सतपुरूष बाबा फुलसन्दे वालों की जय,
बोलो सच्चे दरबार की जय,
बोलो हिन्दूराष्ट्र देवभूमि भारतवर्ष की जय।......3
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा

माला पूरी होने के बाद में बोलें-

हे परमेश्वर! तू हमें अपनी ज्योति में विश्राम दे।

माला के बाद बोलें......

सच्चा नूर तेरा नाम है मालिक, ये दुनियाँ है ठीकरी।
सच्चे मोती के बराबर, कभी ना होवे ठीकरी।।
तैंतीस करोड़ देवता, करते तेरी आराधना।
दोनों हाथ पसार के, मैं माँगु तेरा चाँदना।।
ॐ त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम्। उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्, त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पतिवेदनम ्। उर्वारूकमिव बंधनादितो मुक्षीय मामुतः।।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः

फिर गुरू वाणी का एक छोटा से वचन पढ़ें जो अगली आराधना तक याद रहे। वचन हर आराधना के बाद अवश्य पढ़ें।

सतपुरूष बाबा फुलसन्दे वाले कहते हैं-

तुम जो मिले मेरे साईंयां, मुझे मिल गये दोनों जहान।
खुलती नहीं जुबान, अब मैं क्या माँगू भगवान।।

या इसके अतिरिक्त ये वचन भी बोल सकते हैं....

परमेश्वर सबर करने वालों के साथ है।
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा
एक तू सच्चा तेरा नाम सच्चा

लेखक एवं गायक- सतपुरूष बाबा फुलसंदे वाले